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नमस्त दोस्तों, मेरा नाम समीर है।
यह कहानी पिछले साल की है जब मैं गर्मियों के दिनों अपने मामा-मामी के घर गया था।
उन दिनों मेरे कॉलिज की छुट्टिया शुरू थी।
मैं अकसर मामा-मामी के घर जाया करता था।
मेरी वहाँ जाने की वज़ब बेशक आपी थी।
नमस्त दोस्तों, मेरा नाम समीर है।
यह कहानी पिछले साल की है जब मैं गर्मियों के दिनों अपने मामा-मामी के घर गया था।
उन दिनों मेरे कॉलिज की छुट्टिया शुरू थी।
मैं अकसर मामा-मामी के घर जाया करता था।
मेरी वहाँ जाने की वज़ब बेशक आपी थी।